Sunday, August 1, 2010

मैंने धूप को आते देखा...........

चेहरे से सरकते घूंघट-सा,
काले बादलों के बीच सूरज दिखा,
एक उजली किरण आई मेरी तरफ,
और मैंने धूप को आते देखा..........

अलसाई सुबह में आँखें मलते-मलते,
खिड़की खोली मैंने चहचाहट सुनते-सुनते,
घने अँधेरे को चीरते हुए,
मैंने धूप को आते देखा................

सड़क किनारे खड़े किसी इंतज़ार में,
चलती-फिरती दुनिया की भीड़-भाड़ में,समंदर की शांत लहर की तरह,
मैंने धूप को आते देखा................

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