एहसास है यह,
तू ही बता, इसे शब्दों में कैसे बयां करूँ..............
जानते हुए भी अनजाना-सा,
पहचानते हुए भी अनचीन्हा-सा,
जिसे सिर्फ आँखों से ही पढ़ सकूँ
तू ही बता, उसे किसी शब्द में कैसे ढाल दूं.............
तुझसे दोस्ती है मेरी,
पर तू दोस्त से है बड़ा.....
तुझसे प्यार भी करती हूँ,
पर तू प्यार नहीं मेरा...
जिसे सिर्फ दिल से महसूस कर सकूँ
तू ही बता, उस प्यारी दोस्ती को मैं क्या नाम दूं................!!!!
I have written this poem for my sweet n lovely friend - Parul di
lovely...can i copy it?
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