Friday, August 19, 2011

ये बूँदें.......

आसमान से गिरती मेरा चेहरा चूमने को आतुर ये बूँदें.........
कपडे सुखाने की तार पर बल्ब की झालर-सी चमकती ये बूँदें........
मुरझाती शाखों को जीवन देकर मिटटी में मिल जाती ये बूँदें........
नीचे पहुँचने की चाह में किसी खम्बे पे होड़ लगाती ये बूँदें..........
बूंदों को पकड़ना चाहूँ, पर पकड़ ना पाऊं,
मेरी हथेली की ऊष्मा को अपने में समाहित करती ये बूँदें.........
कभी गौर से देखो इनको,
अपने छोटे-से आँचल में पूरी दुनिया समेट ले जाती ये बूँदें.......
ये बूँदें.......

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